रविवार, 5 दिसंबर 2010

कविता शायरी

आप डाक्टर दिल के हो लोगों के दिल चुराते हो,
उन दिलों में एक दिल मेरा भी है, क्या साथ लाए हो !

सांझ आ रही है सुबह भी होगी,
सांझ सावली है सुबह कैसी होगी !

दिल चाहता है तुम्हे सीने से लगा दूं,
तुम्हारे झील जैसी आँखों में अपने को छिपा दूं,
लेकिन मैंने जैसे ही जम्प मारा तुमने आँखें बंद कर दी !

दो बुजुर्ग एक होटल में खाना खा रहे थे,
एक मर्द एक नारी बीच बीच में मुस्करा रहे थे,
मर्द खा रहा था नारी पंखा झल रही थी,
मर्द पंखा झुलाने लगा जब नारी खा रही थी,
इस प्रेम लीला को देख कर होटल मालिक से नहीं रहा गया,
उसने आकर नारी से कहा,
"इस उम्र में आपकी प्रेम लीला देखकर मैं तो शर्मा ही गया,
रास लीला का तरीका लगता है बिलकुल नया,
नारी बोली, "आपके विचार तो नेक हैं,
पर असल में हमारा प्यार वार कुछ नहीं है
केवल दांतों का सेट एक है " !

तुम चलती हो दिल हिलता है,
तुम मुस्कराती हो फूल खिलता है,
सोचता हूँ जब तुम हंसोंगी,
किस किस के गले में फांसी का फंदा कसोगी !

वो कहते हैं हुस्न परिन्दा है,
उड़ता है एक डाली से दूसरी पर डेरा जमाता है,
लेकिन वो झूठ कहते हैं,
तुम्हारे मुखड़े का हुस्न तो लौट लौट कर
वापिस तुम्हारे ही मुखड़े पर आता है !

मैं जा रहा था तुम आ रही थी,
ओंठों ओंठों में कुछ गुन गुना रही थी,
अचानक हम दोनों की टक्कर हो गयी,
मैं गिर गया आम के पेड़ से कोयल बोली,
बधाई दिल की मुराद पूरी हो गयी !

ओ आए घर अपने खुदा की कुदरत है
हम कभी उनको कभी अपने घर को देखते हैं !

एक दिन वो बोली , अजी सुनते हो,
आजकल खींचे खींचे से रहते हो,
कहीं मेरे हुस्न से तो नहीं जलते हो,
ये बताओ मुझे कितना प्यार करते हो,
हमने कहा,
तस्वीर तुम्हारी दिल में ऐसी बसी है,
जैसे भैस अधखुले दरवाजे में फंसी है !

वह दवा कहाँ से लाऊँ जो तेरी नींद उड़ा दे,
वहा हुस्न कहाँ से लाऊँ तुझे पड़ोसन से लड़ा दे !

गुलशन उजाड़ने को एक ही उल्लू काफी है,
जहां साक साक पर उल्लू हो हाल ये गुलशन क्या होगा ?

सरसों का खेत पीला परिधान, नारी ने झलक दिखाई,
मैंने फ़ौरन से एक रंगीन फोटो खिचाई,
कमाल हो गया नारी कहीं आस पास नहीं,
सरसों का खेत खेत में भैंस नजर आई !

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