शुक्रवार, 22 अक्तूबर 2010

आज का नेता

आज का नेता पक्का पपीता,
जब चाहो तोड़ के ले जावो,
कच्चा है तो बाहर फेंक दो
पक्का है तो खा जावो !
अगर है एम एल ए एम पी
खरीद के इनको ले जावो,
मुख्य मंत्री बनने वाला
इन्हीं पर बोली लगावो !
ये आया राम और गया राम हैं
अलग ही पहिचान बनाते हैं,
कच्छुवा जैसी चाल है इनकी ,
मेढकी छलांग लगाते हैं !
गिरगिट जैसे रंग बदलते,
बन्दर जैसी घुड़की !
पार्टी बदल देते हैं फ़ौरन
सरकार जैसे लुढकी !
वोट माँगते जब ये नेता,
निरा गऊ बन जाते हैं,
चुनाव जीतने पर भय्या
शेर की दहाड़ लगाते हैं !
सुबह शाम ही झूठ बोलते,
है न इनका दीन ईमान !
पूरा बकरा उदरग्रस्त कर
फिर लेते हैं प्रभु का नाम !
इन दुष्टों से बचकर रहना,
कह गए तुलसी दास,
नया उनकी डूबा गए ये
जिनके रहते हैं ये पास !

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